Monday, 20 October 2014

शरद ऋतु !

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तेरे आते ही गुलों के , रंग सब गहरा गयेभौंरे फूलों से लिपट कर , कान में कुछ गा गये
ओस की बूँदें चमक उट्ठीं , ज़रा सी धूप से
मोतियों के कीमती टुकड़े , धरा पर छा गये
देर से निकला है सूरज , सुबह भी अलसा गयी
लो फिर शरद ऋतु आ गयी !!



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