फागुन गाए गीत
रोम-रोम पुलकित हुआ, अँखिया ढूँढे मीत
ऋतु बसंत के साथ जब फागुन गाए गीत
मौसम की अंगड़ाई ने, किए नए संकेत
बासंती आहट पाकर, पीले हो गए खेत फागुन उत्सव प्रेम का, तज कर मान-गुमान
निकला है बाजार में, लिए अधर मुस्कान
हरे गुलाबी रंगों ने किया बासंती रंग
देख दबदबा फागुन का दुनिया रह गई दंग
फागुन पुरवाई चली, बहकी हर इक चाल
महुआ संग पलाश ने ठोकी मादक ताल
झूम-झूम इठला रहे रंग-गुलाल-अबीर
फागुन छेड़ी तान तो गाए गीत समीर
गाँव-शहर की हर गली, मिलकर गाए फाग
चौराहे-चौपाल पर गूँजे नित नए राग
बोझिल जीवन में जगी, इक सुंदर-सी आस
फागुन आ बिखरा गया, आँगन नए पलाश।
मौसम की अंगड़ाई ने, किए नए संकेत
बासंती आहट पाकर, पीले हो गए खेत फागुन उत्सव प्रेम का, तज कर मान-गुमान
निकला है बाजार में, लिए अधर मुस्कान
हरे गुलाबी रंगों ने किया बासंती रंग
देख दबदबा फागुन का दुनिया रह गई दंग
फागुन पुरवाई चली, बहकी हर इक चाल
महुआ संग पलाश ने ठोकी मादक ताल
झूम-झूम इठला रहे रंग-गुलाल-अबीर
फागुन छेड़ी तान तो गाए गीत समीर
गाँव-शहर की हर गली, मिलकर गाए फाग
चौराहे-चौपाल पर गूँजे नित नए राग
बोझिल जीवन में जगी, इक सुंदर-सी आस
फागुन आ बिखरा गया, आँगन नए पलाश।
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